Friday 4 August 2017

श्री सुरेशानंद जी पूज्य श्री के प्रमुख शिष्य हैं
उन्हें बरसों से पूज्य श्री के साथ देखा जाता रहा
पिवसंती वस्त्रों में उनके प्रवचन पूज्य श्री पूर्व हुआ करते हैं
यथायथा उनके भजन कीर्तन  सत्संग में सबको बंधना काका अच्छा सामर्थ्य है वे जंहा तक 1986 से बापू से जुड़े उनदिनों अजमेर रहा करते वंहा पर पिताजी
पूर्व में उन्हें अहमदाबाद ले गए थे जब आठ साल के हुआ करते उन दिनों मोक्ष कुटीर दर्शन को गए जब कूछ खास नही था वट दादा  के फेरे लगाय उस समय पूज्यश्री ने कहा कि देखो ये वट दादा तो भगवान है
वे जब 13 वर्ष के थे तो पिताजी को थोड़ा व्यसनों से वे परेशान हो गए उन दिनों कंही यह भी सुना जाता कि फुटपाथ पर रात बितानी पड़ती माता जी के बाद नाइ माँ आई जो इनसे परेशान थी
एक बार अजमेर मैं सत्संग हुआ माँ मिली और बोले कि सुधअब तो इस लागत है  सिलाई के घर ख़र्च चलता है और यह कंही भी पैसे खर्च कर देता है कि मैं मर जाऊ तब पूज्य श्री ने कहा कि रहेने दो इस मुझे दे दो
अस्तु वे आश्रम में रहने लगे
उन दिनों क
सपा